अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास Ajmer Sharif Dargah History In Hindi {A to Z} पूरी जानकारी}

दोस्तों अगर आप अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास (Ajmer Sharif History In Hindi) जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा ज़रूर पढ़ें। यहाँ आपको अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास, परिचय, अजमेर शरीफ दरगाह का निर्माण कैसे हुआ और अजमेर शरीफ दरगाह के मुख्य स्मारक कोण से हैं जैसे कई सवालों के जवाब मिल जायेंगे।

भारत देश एक पुण्य भूमि है जहाँ ऐसे कई तीर्थ स्थान हैं जहाँ हर धर्म के लोग आस्था के साथ जाते हैं। ऐसा ही एक तीर्थ स्थान है Ajmer Sharif Dargah जो राजस्थान के अजमेर शहर में है। तो चलिए बिना देर किये शुरू करते हैं आज का ये अर्टिकल और जानते हैंHistory of Ajmer Sharif Dargah In Hindi“.

अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास Ajmer Sharif Dargah History In Hindi

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की निगरानी में बना अजमेर शरीफ दरगाह भारत का बेहद सुंदर एवं आकर्षक मकबरा है। यह दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी मशहूर है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती प्रसिद्ध सूफी संत तथा इस्लाम धर्म के विद्वान एवं दार्शनिक थे। इन्हें ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है। वन्दे मातरम लिरिक्स पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

अजमेर शरीफ दरगाह का परिचय (Ajmer Sharif Dargah Introduction)

राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का नाम भारत के मुख्य तीर्थस्थलों में शामिल किया जाता है। यह दरगाह जयपुर से लगभग 135 किलोमीटर दूर अरावली पहाड़ियों से घिरे शहर अजमेर में स्थित है। अजमेर शरीफ दरगाह को भारत‌ की सबसे प्रख्यात दरगाह का दर्जा प्राप्त है। इस दरगाह से समस्त धर्म के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है तथा यहां पर जो भी आता है उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है। हर व्यक्ति इस दरगाह पर किसी किसी मन्नत और उम्मीद से आता है और वह उम्मीद उसकी जरूरत पूरी होती है। बड़े से बड़े राजनेता तथा सेलिब्रिटी तक इस दरगाह पर आकर अपना आशीष झुकाते हैं।

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ख्वाजा गरीब नवाज की हिस्ट्री हिंदी में Khwaja Moinuddin Chishti History in Hindi

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) विश्व भर में इस्लाम उपदेशक के रूप में प्रख्यात है तथा ऐसा माना जाता है कि भारत में इस्लाम धर्म की स्थापना इन्होंने ही की थी। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अपनी अनूठी तथा चमत्कारी शक्तियों से मुगल बादशाहों के मध्य काफी प्रचलित थे।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने अपने गुरु उस्मान हरूनी से इस्लाम धर्म की शिक्षा प्राप्त की एवं इसके बाद इस्लाम धर्म के प्रचारप्रसार हेतु कई यात्राओं को अंजाम दिया और वह इस्लाम धर्म से प्राप्त हुए शिक्षा को सारे संसार में फैलाना चाहते थे एवं इस्लाम धर्म से संबंधित हर छोटी शिक्षा का ज्ञान समाज को देना चाहते थे। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) ने पैदल ही हज की यात्रा की थी।

अजमेर शरीफ की कहानी – Story of Ajmer Sharif in Hindi

ऐसी मान्यता है कि वर्ष 1192 से 1995 के मध्य ख्वाजा गरीब नवाज मदीना से भारत यात्रा पर मोहम्मद से आशीर्वाद लेने आए थे और इस दौरान कुछ समय तक वह दिल्ली में भी रूके थे परंतु उसके बाद वह लाहौर की ओर रवाना हो गए थे। अंत में वह मुइज्ज़ अलदिन मुहम्मद के साथ अजमेर आए तथा यहां कि वास्तविकता एवं पृष्ठभूमि से प्रभावित होकर उन्होंने अजमेर में ही रहने का फैसला किया। अजमेर में उन्हें काफी सम्मान प्राप्त हुआ तथा अपनी अद्भुत शक्तियों के कारण वह अजमेर की प्रजा में काफी प्रचलित हो गए थे तथा वहां के लोग ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती में काफी विश्वास रखते थे। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने इस्लाम एवं हिंदू धर्म के बीच प्रेम एवं समान भाव का गठन किया तथा इन धर्म के लोगों को आपस में मिलजुल कर रहने की शिक्षा भी दी।

Story, History of Ajmer Sharif in Hindi

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के महान उपदेशों तथा शिक्षकों से बड़े से बड़े मुगल बादशाह प्रभावित थे उनकी शिक्षाओं में हर कठिनाइयों से लड़ने का साहस, हर परिस्थिति में खुश रहना, जीवन की हर स्थिति में समझदारी से काम लेना, अपने काम के प्रति अनुशासित रहना, गरीब तथा आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों की सहायता करना, सभी धर्मों का आदर करना तथा प्रेम एवं सद्भाव से सबके साथ मिल जुल कर रहना जैसे उपदेश शामिल थे। उनकी इस्लाम से संबंधित हर शिक्षा तथा सभी धर्मों के प्रति आदर एवं हर शिक्षा का प्रभाव जनता पर काफी गहरा पड़ा 114 साल की उम्र में उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना करने के लिए 6 दिन का एकांतवास किया तथा अजमेर में ही उन्होंने अंतिम सांसें लीं और इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

अजमेर शरीफ दरगाह का निर्माण कैसे हुआ ? How Ajmer Sharif Dargah Made ?

इतिहासकारों के अनुसार सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने वर्ष 1465 ने अजमेर शरीफ दरगाह का निर्माण करवाया था एवं इसके पश्चात मुगल सम्राट हुमायूं, अकबर, शाहजहां और जाहगीर ने इस दरगाह के विकास में अपना योगदान दिया था। दरगाह में कई प्रकार की अन्य संरचना एवं मस्जिदों का निर्माण भी उस समय किया गया था।

इस दरगाह में अंदर जाने के लिए चारों तरफ से बेहद सुंदर एवं आकर्षक दरवाजों का निर्माण किया गया है जिसके अंतर्गत निजाम गेट, जन्नती दरवाजा, नक्कारखाना (शाहजहानी गेट), बुलंद दरवाजा आदि प्रमुख दरवाजे आते हैं। इसके अतिरिक्त ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के भीतर बेहद ही भव्य मस्जिद का निर्माण भी किया गया है।

यह मस्जिद मुगल काल वास्तुकला की अद्भुत नमूना मानी जाती है। इस आकर्षक मस्जिद की इमारत में अल्लाह के करीब 99 पवित्र नामों के 33 खूबसूरत छंद लिखे गए हैं। इस मस्जिद में वर्तमान मुस्लिम समाज को इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रंथ कुरान की शिक्षा दी जाती है।

Ajmer Sharif Dargah के मुख्य स्मारक कौनसे है ?

  1. निजाम गेट -: Nizam Gate »

यह Ajmer Sharif Dargah में निर्मित सभी मुख्य दरवाजों में से सबसे सुंदर दरवाजा है। इस खूबसूरत दरवाजा का निर्माण हैदराबाद के डेक्कन के मीर उस्मान अली खां की निगरानी में किया गया था।

  1. नक्कारखाना (शाहजहानी गेट) -: Nakkarkhana Gate »

Ajmer Sharif Dargah में बने मुख्य दरवाजों में से एक नक्कारखाना भी है जो मुगल के सम्राट शाहजहां द्वारा वर्ष 1047 में बनवाया गया था। यह दरवाजा सबसे प्राचीन वास्तुकला शैली का प्रयोग करके बनाया गया है। इस भव्य गेट के ऊपर शाही जमाने का नक्कारखाना बना हुआ है। यह नक्कारखाना शाहजहानी के नाम से भी प्रचलित है।

  1. जन्नती दरवाजा -: Jannati Darwaza »

Jannati Darwaza Ajmer Sharif Rajasthan

  • Ajmer Sharif Dargah में पश्चिम की ओर एक भव्य चांदी की पॉलिश किया हुआ खूबसूरत दरवाजा है जो कि जन्नती दरवाजा के नाम से मशहूर है। यह दरवाजा केवल वर्ष में चार बार विशेष अवसरों पर खोला जाता है जैसे ख्वाजा गरीब नवाज की उर्स, वार्षिक उर्स तथा ईद के अवसर पर दो बार खोला जाता है।
  1. बुलंद दरवाजा -: Buland Darwaza »

buland darwaza ajmer sharif rajasthan

  • Ajmer Sharif Dargah में बने प्रमुख दरवाजों में से एक बुलंद दरवाजा भी है जो दिखने में बहुत खूबसूरत और बड़ा गेट है। महमूद खिलजी और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा बुलंद दरवाजे का निर्माण करवाया गया था।
  1. चार यार की मजार -: Chaar Yaar Ki Mazaar »
  • Ajmer Sharif Dargah में बहुत बड़ा कब्रिस्तान बना हुआ है। यहां पर महान सूफी संत, फकीरों, आलिमों एवं फाजिलो की कब्र बनी हुई है। इस कब्रिस्तान में उन चार सूफी संतों की भी खबर बनी हुई है जो भारत यात्रा के दौरान ख्वाजा गरीब नवाज के साथ आए थे इसीलिए इसे चार यार की मजार कहा जाता है। हर साल अजमेर शरीफ दरगाह में इस जगह पर मेला लगता है जिसे देखने के लिए दूरदूर से सैलानी यहां आते हैं।

अंतिम शब्द

तो आज आपने जाना अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास (Ajmer Sharif Dargah History In Hindi) और अजमेर शरीफ की कहानी। उम्मीद करता हूँ आपको Full Detail of Ajmer Sharif Dargah History In Hindi आर्टिकल की से अजमेर शरीफ दरगाह बारे में अच्छे से जानकारी मिल गयी होगी। आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ ज़रूर शेयर करें। आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

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