Citizenship Amendment Bill In Hindi

सिटीजन अमेंडमेंट बिल (Citizenship Amendment Bill In Hindi) की सम्पूर्ण जानकारी एवं इतिहास की पूरी जानकारी विस्तार से नागरिकता संशोधन बिल २०१९, भारत में मौजूदा सरकार दवारा लाया गया एक ऐसा एक्ट जो शरणार्थियों को मिलने वाली नागरिकता को लेकर नियमों को पूरी तरह बदल देगा।

सोमवार दिसंबर २०१९ को केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में जैसे ही यह बिल पेश किया वैसे ही इस बिल को विरोध का सामना करना पढ़ा।

नागरिकता संशोधन बिल से जुड़े कुछ ख़ास तथ्य (Citizenship Amendment Bill Features)

इस लेख के ज़रिये आईये हम समझने की कोशिश करते हैं की आखिर नागरिकता संशोधन बिल है क्या और क्या हैं इसकी प्रमुख बातें Citizenship Amendment Bill In Hindi

  • सबसे पहले तो यह बिल नागरिकता बिल १९९५ में संशोधन लाकर बनाया गया है और इसी लिए इसे नागरिकता संशोधन बिल २०१९ नाम दिया गया।
  • दूसरी जो इस बिल की सबसे महत्वपूर्ण बात है वह यह है की ३१ दिसंबर २०१४ से पहले भारत में आये हुए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के शरणार्थी चाहे वह हिन्दू, जैन, सिख, बोध, ईसाई या यहूदी हों उन्हें भारत की वैध्य नागरिकता मिल जायेगी।
  • आसान भाषा में अगर हम समझना चाहें तो हम ये कह सकते हैं की ३१ दिसंबर २०१४ से पहले हर वो शरणार्थी जो की गैर मुस्लिम हो उसे इस संशोधित बिल के आधार पर भारत की नागरिकता मिल जायेगी।
  • एक और बड़ी तब्दीली जो इस संशोधित बिल में की गयी है वो यह है की जिस प्रकार पहले भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए किसी भी शरणार्थी को कम से कम ११ साल तक देश में रहना पड़ता था वह समय सीमा अब घटा कर वर्ष कर दी गयी है।
  • भारत के उत्तर पूर्व के कुछ इलाकों में यह संशोधित बिल लागू नहीं होगा। जिन क्षेत्रों में यह बिल लागू नहीं होगा उनमें आसाम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाके हैं।
  • भारतीय संविधान के छठे शेड्यूल के अंतर्गत इन चार राज्यों को इस बिल से पूरी तरह बाहर रखा गया है। क्यूंकि इन आदिवासी क्षेत्रों की अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान है तो इनके संगरक्षण के लिए इन्हे संविधान में खास प्रावधान दिया गया है।

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इस संशोधित बिल के अनुसार भारत में जो भी O C I (प्रवासी भारतीय नागरिकता) प्रापतकर्ता हैं, यदि उन्होंने भारत के किसी भी कानून का उलंघन किया है

तो उन्हें अपनी बात रखने का एक मौका दिया जायेगा और यदि वो दोषी पाए गए तो उसका O C I (Overseas Citizenship of India Card) कार्ड रद्द भी हो सकता है।

प्रवासी भारतीय नागरिकता क्या है ? Inner Line Permit Kya Hai in Hindi

इनर लाइन परमिट १८७३ (1873) भारत में भारतीय नागरिकों के लिए बने इस परमिट को ब्रिटिश सरकार ने बनाया था। जिसे आज़ादी के बाद भी समय समय पर कुछ तब्दीलियां करके जारी रखा गया।

ये इनर लाइन परमिट दो तरह का होता है एक रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों से आये नागरिकों के लिए और दूसरा पर्यटन की दृष्टि से बनाया गया। पूर्वी राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम के इनर लाइन परमिट (ILP) क्षेत्रों को भी इस बिल से बाहर रखा गया है।

नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध – Demonstration of CAB LOK SABHA Bill

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दवारा लोक सभा में बिल पेश करते ही उसे विरोध का सामना करना पड़ा। बिल पर वोटिंग के समय उसके पक्ष में ३११ वोट और उसके विरोध में ८० वोट पड़े।

जिसका सीधा सा अर्थ है की संसद के ३९१ सदस्यों में से ८० ने इस संशोधित बिल का विरोध किया है। विरोध करने वालों का पक्ष है की इस संशोधित बिल ने भारत के मूल संविधान को एक प्रकार नष्ट कर दिया है।

भारत के संविधान के अनुसार जाति, धर्म, भाषा के आधार पर भेदभाव की कड़ी निंदा की गयी है। क्यूंकि इस संशोधित बिल में मुस्लिम धर्म के अलावा बाकि सभी धर्मों के शरणार्थियों को एक सिमित समय के बाद भारतीय नागरिकता मिल जायेगी जिस से भारत की शांति और धर्मनिरपेक्षता पर आंच सकती है। साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत की लोकतान्त्रिक छवि धूमिल हो सकती है।

Citizenship Amendment Bill PDF

आसाम में इस बिल के विरोध में आम नागरिकों के साथ वहां के अभिनेता भी सड़कों पर उतर आये हैं। उनका मानना है की पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से आसाम की ओर बहुत से शरणार्थी आये हैं।

यदि उन सभी को नागरिकता मिल जायेगी तो राज्य पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ेगा और साथ ही बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

लोक सभा में इस बिल पर सरकार का साथ देने वाली शिव सेना का कहना है की राज्य सभा में इस बिल के पक्ष में वो वोट दें या नहीं इस पर अभी कोई राय नहीं है।

शिव सेना का मानना है की जिस प्रकार हिन्दू, सिख, पारसी, ईसाई, जैन, बौद्ध धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता दी जा रही है उनमें श्री लंका में पीड़ित तमिलों को भी शामिल करना चाहिए।

शिव सेना का मानना है की यदि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आये गैर मुस्लिम सभी धर्मों के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जायेगी तो उसका सीधा सा असर महाराष्ट्र पर भी पड़ेगा। रोज़गार और शरण के लिए वे शरणार्थी महाराष्ट्र का रुख करेंगे।

नागरिकता संशोधित बिल २०१९ का विरोध करने वालों का ये भी कहना है की यदि भारत की नागरिकता इतनी आसानी से मिल जाएगी तो दूसरे देशों के जासूस भी यहाँ की नागरिकता प्राप्त करके उसे गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस प्रकार वो भारत की कई महत्वपूर्ण जानकारियां देश से बाहर भेज सकते हैं।

सरकार दवारा बिल के समर्थन में तर्क 

सरकार दवारा बिल पेश करते समय ये तर्क दिया गया है की क्यूंकि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीन्हो ही देशों ने खुद को इस्लामिक देश घोषित किया है। ऐसे में वहां के अन्य धर्मों के लोग अल्पसंख्यक हैं।

तो ऐसे में लोकतान्त्रिक देश होने के नाते भारत का दायित्व बनता है की वो यहाँ आने वाले उन देशों के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को शरण दे और नागरिकता प्रदान करे।

सरकार के इस तर्क को हम इस तरह समझ सकते हैं की हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में बटवारे के समय कुल २३% अल्पसंख्यक थे जो की अब घट कर केवल % रह गए हैं।

जो की पूर्ण रूप से अपने मूल अधिकारों से भी वंचित हैं तो ऐसे में यदि वो भारत आते हैं तो उन्हें संगरक्षण देना भारत की नैतिक जिम्मेदारी बनती है।

राज्य सभा सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल – Rajya Sabha Citizenship Amendment Bill

देश में भारी विरोध के बावजूद बुधवार (११ दिसंबर २०१९) को राज्य सभा में नागरिकता संशोधन बिल पास गया। इस बिल को लोक सभा में पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।

राज्य सभा में लगभग घंटों की लम्बी बहस के बाद आखिरकार यह बिल कानून बनने की एक और परीक्षा को पास कर गया।

राज्य सभा में इस बिल के पक्ष में १२५ सदस्यों ने मत दिया वहीँ ९९ सांसदों ने इसके विरोध में मत दिया।

लोक सभा में जहाँ एन डी की गठबंधन पार्टी शिव सेना ने इस बिल के पक्ष में वोट दिए थे वहीँ राज्य सभा में उसके सभी सांसदों ने मतदान से बाइकाट किया।
इस बाइकाट का वोटिंग पर कोई असर नहीं दिखा और यह बिल आसानी से राज्य सभा में पास हो गया।

दिसंबर को लोक सभा और ११ दिसंबर को राज्य सभा से पास होने के बाद गुरूवार १२ दिसंबर २०१९ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी मंजूरी मिल गयी।

राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह बिल कानून में पूरी तरह तब्दील हो चूका है।

Conclusion – निष्कर्ष

तमाम विरोधों के बावजूद नागरिकता संशोधन बिल २०१९ (Citizenship Amendment Bill) आखिरकार देश में एक नया कानून बन गया है। इस बिल को कानून में तब्दील होने के समय के दरमियान देश में बहुत से लोग इसके पक्ष में थे तो बहुत से लोगों ने इसका विरोध भी किया।

इसके बावजूद पहले लोक सभा और फिर राज्य सभा में पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर इसने पूर्ण रूप से कानून का रूप ले लिया।

इस कानून के बनने के बाद अब से गया है की ३१ दिसंबर २०१४ से पहले भारत में आये हिन्दू, ईसाई, सिख, यहूदी, जैन और बौद्ध धर्म के शरणार्थियों को अब भारत की नागरिकता मिल जायेगी।

यह शरणार्थी इस्लामिक देशों अफगानिस्तान, पकिस्तान, बांग्लादेश से आये हुए होने चाहिए। इन देशों से पीड़ित लोगों को भारत में अब नागरिकता मिलने की राहें खुल गई हैं।

इस कानून के बनने से भारत में बसे शर्णार्थिओं में भारी उत्साह और ख़ुशी भर गयी है।

आशा करता हूँ की यह जो जानकारी मैंने आपको हिंदी में दी है Citizenship Amendment Bill के बारे में वो आपके लिए फ़ायदेमन्द साबित होगी। तो कृपया अगर आपको ये जानकारी पसंद आयी हो तो अपने मित्रों, रिश्तेदारों के साथ इसे फेसबुक, ट्विटर, पर जरूर शेयर कीजिये। धन्यवाद्

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